सापेक्ष प्रकाशन की पुस्तकें साहित्य के मूल्यों को स्थापित करती हैं और बाजार को तहजीब का सलीका सिखाती हैं |
किताबें आदमी का सबसे बढ़िया दोस्त होती हैं। एक किताब की कुछ पंक्तियों में वह ताकत होती है कि वो आदमी के सोच को आमूलचूल बदल देती है। जो किताब से दूर है वह अभागा मनुष्य होकर भी ज्ञान की रोशनी से दूर अंधेरे में रहने को विवश है।
-सुभाष चंद्र बोस
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