वीरता से भरे वीररस के विख्यात कवि श्री अरविन्द पथिकजी को उनकी सद्यः रचित बेहतरीन कविता के लिए बहुत-बहुत बधाई. उनकी निम्न पक्तियाँ बेहद पसंद आयीं, देखिए--
हमें भी रंज़ होगा क्योंकि तू हिस्सा हमारा है
हज़ारों साल से तो एक ही किस्सा हमारा है
बंटी धरती बंटी नदियां बंटे दिल भी हमारे हैं
मगर अब क्या करें ज़ब एक ही पुरखे हमारे हैं
हमें भी रंज़ होगा क्योंकि तू हिस्सा हमारा है
हज़ारों साल से तो एक ही किस्सा हमारा है
बंटी धरती बंटी नदियां बंटे दिल भी हमारे हैं
मगर अब क्या करें ज़ब एक ही पुरखे हमारे हैं
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