श्री मृगेंद्र मकबूलजी
पालागन सर , बधाई, आपकी गजलों को पढ़कर मजा आ गया. शेरे-दिल शेर के निम्न शेर बहुत ही पसंद आये- पुनः पालागन |
दुश्मन भले ही कुछ कहे दुनिया जहान में
पढ़ते रहो क़सीदे, तिरंगे की शान में।
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नूर उनका झिलमिलाता है, रंगों में देखिये
कुर्बान हो गए जो, तिरंगे की शान में।
पालागन सर , बधाई, आपकी गजलों को पढ़कर मजा आ गया. शेरे-दिल शेर के निम्न शेर बहुत ही पसंद आये- पुनः पालागन |
दुश्मन भले ही कुछ कहे दुनिया जहान में
पढ़ते रहो क़सीदे, तिरंगे की शान में।
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नूर उनका झिलमिलाता है, रंगों में देखिये
कुर्बान हो गए जो, तिरंगे की शान में।
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