आदरणीय पंडितजी आपने आख़िरकार युवराज का खेल बता ही दिया कि आओ भ्रष्टाचार, बचाओ भ्रष्टाचार खेलें एक बेहतरीन हास्य-व्यंग आलेख लिखकर. भ्रष्टाचार की जडें कहाँ हैं और उन जड़ों को कौन सींचता है जिससे वह दीर्घ बृक्ष बनकर चारों ओर फैलता है. वह माली
कौन है. उन्मूलन की डोली किनके कंधे पर है. मेरी लघु मानसिकता से तो पंडितजी का आशय है कि वही चोर वही डोली के साथ अर्थात भ्रष्टाचार का उन्मूलक भी वही माली है जो भ्रष्टाचार को सींच रहा है. वह सड़क पर पैदा नहीं होता है. सड़क पर तो उसकी शाखाएं हैं जिनका मिटना या न मिटना बराबर है. अतः भ्रष्टाचार सनातन
है और शाश्वत है. क्योंकि भ्रष्टाचारी ही पूजनीय हैं और वह ही उसका मंत्री बनता है. पंडितजी के शब्दों में -- भ्रष्टाचार क्या सड़क पर रहता है। वो हमेशा सत्ता की ओट में रहता है। उसे सड़क से कैसे हटाएंगे। इन अहमकों को कौन समझाए। अरे भ्रष्टाचार को हम-आप ही हटा सकते हैं। क्योंकि इस हुनर के हम खानदानी एक्सपर्ट हैं।
पंडितजी को बहुत-बहुत बधाई ऐसे बेहतरीन आलेख के लिए. मेरे प्रणाम.
कौन है. उन्मूलन की डोली किनके कंधे पर है. मेरी लघु मानसिकता से तो पंडितजी का आशय है कि वही चोर वही डोली के साथ अर्थात भ्रष्टाचार का उन्मूलक भी वही माली है जो भ्रष्टाचार को सींच रहा है. वह सड़क पर पैदा नहीं होता है. सड़क पर तो उसकी शाखाएं हैं जिनका मिटना या न मिटना बराबर है. अतः भ्रष्टाचार सनातन
है और शाश्वत है. क्योंकि भ्रष्टाचारी ही पूजनीय हैं और वह ही उसका मंत्री बनता है. पंडितजी के शब्दों में -- भ्रष्टाचार क्या सड़क पर रहता है। वो हमेशा सत्ता की ओट में रहता है। उसे सड़क से कैसे हटाएंगे। इन अहमकों को कौन समझाए। अरे भ्रष्टाचार को हम-आप ही हटा सकते हैं। क्योंकि इस हुनर के हम खानदानी एक्सपर्ट हैं।
पंडितजी को बहुत-बहुत बधाई ऐसे बेहतरीन आलेख के लिए. मेरे प्रणाम.
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