भरत चरित्र महाकाव्य से कुछ प्रसंग आपके लिए-
सिय का दुःख परिचय सुन, भाषे श्री हनुमान.
प्रभु श्री राम सकुशल हैं, प्रभु दूत मुझे मान.
सीताजी का दुःख-परिचय सुनकर हनुमान बोले , प्रभु श्रीराम सकुशल हैं. मैं प्रभु श्रीराम का दूत हूँ.
सिय हेतु प्रभु का सन्देशा. नहीं करना अब तुम अँदेशा.
लखन का स्वचरण में प्रणामा. पूछें कुशलक्षेम अभिरामा.
सीता के लिए प्रभु का सन्देश है. अब तुम कोई संदेह मत करो. लक्ष्मण ने आपके चरणों में प्रणाम किया है. और अभिराम श्रीराम ने आपकी कुशलक्षेम पूछी है.
सिय को हुआ पुनः संदेहा. प्रतीत नहीं यह राम स्नेहा.
रावण का ही वानर रूपा.वह मायावी धरि बहु रूपा.
सीताजी को पुनः संदेह हुआ. यह राम स्नेही प्रतीत नहीं होता है. रावण ने ही वानररूप बना लिया होगा.वह दुष्ट मायावी है. नानारूप बना लेता होगा.
थरथर काँप रही भयभीता. राम दूत नहीं तू प्रतीता.
रामकथा सब रावण जाने. कुशलविज्ञ सबको पहचाने.
सीता भय से काँप रही है. यह राम स्नेही प्रतीत नहीं होता है. वह रावण राम की सब कथा जानता है. वह बहुत कुशलविज्ञ है और वह सबको पहचानता है.
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प्रस्तुतकर्ता-
योगेश
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