यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Thursday, December 15, 2011
व्यक्त करते हैं आभार
प्रकाश प्रलयजी प्रणाम जपते हैं हम सुबह शाम आखरों की नूतन शलाई से शब्दों की सद शब्दिका में नित नई द्रष्टि में जब आता है सहज-सा प्रकाश हो जाती है स्रष्टि साकार व्यक्त करते हैं आभार|
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