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Saturday, December 10, 2011

अपने देश के लिए..

अगर आप मलिन बस्ती में रहते हुए भी ऊंचे आदर्शों को जीना चाहते हैं तो ये कोई अपराध नहीं है।  आप यदि महत्वपूर्ण मंजिल तक चलने को तैयार है और रास्तें में यदि गली के कुत्ते आप पर भौकने लगें तो हरेक कुत्ते से युद्ध करना कतई समझदारी नहीं है। आप इस निर्रथक युद्ध में इतना उलझ जाएंगे कि समय पर अपनी मंजिल तक  कभी नहीं पहुंच पाएंगे। भौंकते हुए कुत्तों को बिस्कुट खिलाते हुए आगे निकल जाना ही समझदारी है। आगे बढ़िए और यह सोचने में कि समाज ने आपको क्या दिया हमें ईमानदारी से यह सोचना चाहिए कि हमने समाज को क्या दे दिया। मत देखिए कि आपके साथवाले ने क्या किया या क्या कहा। जो फांसी के फंदे पर लटक गए उन शहीदों को इस बात की अपेक्षा भी नहीं थी कि हर ऐरा-गैरा नत्थू खैरा फांसी पर लटक जाएगा। अगर आप को लगता है कि यह काम मुझे करना है तो आप निष्काम भाव से उसे करिए। क्रांतिकारियों को जितना पढ़ा है उसमें मैं बस इतना ही समझ सका हूं। जो हम धर्म मान कर करते हैं तो अपनी आत्मा की आवाज पर करते हैं। किसी पर एहसान करने के लिए नहीं। देखता हूं कि मैं देश के लिए क्या कर पाऊंगा।
पंडित सुरेश नीरव

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