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Sunday, December 11, 2011

इक प्याली चाय-जैसी है ज़िंदगी

0 ज़िंदगी जीना अच्छी चाय बनाने की तरह है। आप अपने अहम को उबालें तो चिंताएं भाप बनकर अपने आप उड़ जाएंगी। जिससे आपके  गाढ़े दुख पतले यानी तनु हो जाएंगे। इसके बाद आप अपनी गलतियों को छान दीजीए। और फिर लीजिए जिंदगी के जायके का बेहतरीन लुत्फ।
0 हर उंगली एक जैसी नहीं होती। लेकिन जब हाथ किसी काम में लगता हैं तो बड़ी उंगलियां भी  छोटी के बराबर  हो जाती हैं। हमें भी जिंदगी में यदि कुछ करना है तो अपने अहम को घटाकर छोटों से मिलकर जीना चाहिए। तभी हमें कामयाबी मिल सकती है।
पंडित सुरेश नीरव

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