यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Thursday, January 5, 2012
तेरी आँखों में घडी भर क्या देखा शराब धेले भर की रह गयी घनश्याम वशिष्ठ
No comments:
Post a Comment