श्री अरनिंद पथिकजी,
आपकी रचना पढ़कर बहुत आनंद आया। व्यंग्य की अत्यंत शालीन कविता है। भवानी भाई की कविता जी हां हुजूर मैं गीत बेचता हूं की याद ताजा हो आई. बधाई...। आपने गणतंत्रदिवस कविसम्मेलन के फोटो डालकर पुण्यकार्य किया है। धन्यवाद।
भगवान सिंह हंसजी
आपने मकर संक्रांति पर्व कवि सम्मेलन की अच्छी रिपोर्टिंग की है। आपको भी धन्यवाद।जयलोकमंगल..
पंडित सुरेश नीरव
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