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Thursday, January 5, 2012
भारत के विषय में महान विद्वान घोषणा करते हैं
मेरी एक पुस्तक आने वाली है "भारत को जानों, उसी पुस्तक् से मैं लगातार कुछ पन्ने इस ब्लोग में डालना चाहता हूं।
एक उदाहरण प्रस्तुत है :
भारत के विषय में महान विद्वान घोषणा करते हैं :
आपेक्षिक सिद्धान्त के लिये प्रसिद्ध अल्बर्ट आइन्स्टाइन :
हम भारत के अत्यंत ऋणी हैं जिऩ्होंने हमें गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज नहीं की जा सकती थी।
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नोबेल पुरस्कृत कवि टी. एस इलियट :
भारतीय दार्शनिकों के सूक्ष्म चिन्तन के सामने अधिकांश महान यूरोपीय दार्शनिक स्कूल के बालक से दिखते हैं। . . . .
चार्ल्स लैनमैन के शिष्यत्व मे दो वर्ष संस्कृत की शिक्षा, तथा एक वर्ष जेम्स वुड के मार्ग दर्शन में पतंजलि के योगशास्त्र के अध्ययन ने मुझे आत्मज्ञान के प्रकाश में ला दिया।
(स्रोत : 'आफ़्टर स्ट्रेन्ज गाड्ज़' – टी एस इलियट)
बहुत पहले मैने भारत की प्राचीन भाषाएं पढ़ीं, जब कि मुख्यतया मेरी रुचि दर्शन में ही थी;
मुझे मालूम है कि मेरी कविता में भारतीय विचार तथा संवेदनग्राहिता का प्रभाव है।
(स्रोत ; नोट्स टुवर्ड्ज़ द डैफ़िनीशन आफ़ कल्चर – टी एस. इलियट)
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विश्व प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक आर्थर शोपैनहवर :
उपनिषद के अध्ययन के समान लाभकारी तथा उन्नयन करने वाला अध्ययन विश्व में दूसरा नहीं है।
(स्रोत : 'द डिस्कवरी आफ़ इन्डिया' - जवाहरलाल नेहरू)
उपनिषद किस तरह वेदों की पवित्र आत्मा में व्याप्त हैं ! किस तरह फ़ारसी, लातिन के लगनपूर्ण अध्ययन से सभी, जो उस अतुलनीय ग्रन्थ से परिचित हैं, उस चेतना से आत्मा की अतल गहराइयों तक स्पंदित हैं !
(स्रोत : 'आटोबायोग्राफ़ी आफ़ अ योगी' - परमहन्स योगानन्द)
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