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Friday, January 13, 2012

हर समय --------------------------------------------


हर समय यदि हम तुम्हारे     पास ही बैठे रहेंगे
सोंच लो ये दुनियावाले क्या न फिर हमको कहेंगे ?
दो-चार दिन में ही हमारी हो चलेगी जगहंसाई
फिर कहोगे बात क्यों पहले नहीं हमने   बताई ?
नज़रें चुराकर सारे जग के व्यंग्य वाणों को सहेंगे
ग्यात है, ये मान-धन यों ही सहज   मिलता नहीं है
बिना उद्यम के कभी  तिनका तलक हिलता नहीं है
अपने पथ मे तो सदा कंटक रहेकंटक रहेंगे
हर समय यदि हम तुम्हारे     पास ही बैठे रहेंगे
प्राण़़ तुमसे दूर      जाना हमें भी रूचता नहीं है
मिलन के ये पल गंवाना तनिक भी जंचता नहीं है
पर, घनेरी -     केश राशी     के तले बैठे रहेंगे
सोंच लो ये दुनियावाले क्या न फिर हमको कहेंगे ?
यों तो हमने इस जगत की कभी परवा नहीं की
किस तरह से जियें,बतलाने की अनुमति नहीं दी
पर,तुम्हारी नज़र नीची देख हम रह ना सकेंगे
सोंच लो ये दुनियावाले क्या न फिर हमको कहेंगे ?
एडजस्ट करना,सेट करना हमको कभी आया  नहीं
हम वहीं निश्चल रहे, मन ने कहा जिसको सही
और तुम मनमीत को गुडबाय हम कह ना सकेंगे
सोंच लो ये दुनियावाले क्या न फिर हमको कहेंगे ?
इसलिये जीवन-समर-संघर्ष की खातिर विदा दो
सिर्फ,भावुक कल्पना के मीत सब मंदिर गिरा दो
स्वप्नदर्शी हम सुहाने सपन  सारे सच करेंगे
हर समय फिर हम तुम्हारे  पास ही बैठे रहेंगे
---------------------------अरविंद पथिक

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