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Thursday, January 19, 2012

लकीर के फ़कीर 
हम
जीते नहीं ,
घिसटते है ।
सांप गुजर जाने पर ,
लकीर पीटते है ।
वकत पर 
सोते है ,
अन्त में रोते है ।
तभी तो 
कहाते है ,
लकीर के फकीर ।
वक़्त गुजर गया ,
पीट रहे है लकीर ।।
रजनी कान्त राजू 

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