यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Wednesday, January 4, 2012
शरद जायसवाल की क्षणइका
अब ये सूरज ढल गया बाती को ले तू जल दिये ! गठरी नुमा इंसान की ठठरी बनाई चल दिये !!
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