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Tuesday, January 17, 2012



भारत् को जानें

(१८३५ – १९१०), विश्वप्रसिद्ध हास्य- व्यंगकार, वक्ता तथा लेखक

मार्क ट्वेन
मानव के इतिहास में हमारे अधिकतम मूल्यवान तथा सर्वाधिक शिक्षाप्रद ज्ञान की रत्नमंजूषा भारत में है।
स्रोत : द ड्रैगन एन्ड द एलिफ़ैन्ट : चाइना, इंडिया एन्ड द न्यू वर्ल्ड आर्डर – डेविड स्मिथ
भारत धर्मों की भूमि है, सभ्यताएं इसकी गोद में पली हैं, यह वाणी की माता है,
पुराणों की दादी है, परम्पराओं की परदादी है, विद्वान विचारक इस देश के दर्शन के लिये लालायित रहते हैं, और एक बार दर्शन होने पर, मात्र इसकी‌ झलक मिलने पर
उसे शेष विश्व के सम्मिलित शानदार प्रदर्शनों के लिये भी नहीं छोड़ना चाहते ।
स्रोत : मार्क ट्वेन आन् द लैक्चर सर्किट – पोल फ़ैटआउट; - फ़ालोइन्ग द इक्वेटर – मार्क ट्वेन्
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(६५६ -६६१) इस्लाम के चतुर्थ खलीफ़ा
अली बिन अबी तालिब
वह भूमि जहां पुस्तकें सर्वप्रथम लिखी गईं, और जहां से विवेक तथा ज्ञान की‌ नदियां प्रवाहित हुईं, वह भूमि हिन्दुस्तान है।
स्रोत : 'हिन्दू मुस्लिम कल्चरल अवार्ड ' - सैयद मोहमुद. बाम्बे १९४९.
.ऐतिहासिक संदर्भ : आर्यभट (प्रथम, ४९० ईस्वी) 'आर्यभटीय' पुस्तक में, विश्व में प्रथम बार,गणित के मूल सिद्धान्त, अंकीय गणित, रेखागणित, तथा बीजगणीत , अनिर्धार्य समीकरण, व्युत्क्रम ज्या (वैर्ससाइन), तथा पाई का चार दशमलव त्क मान का निर्धारण। प्रथम वैज्ञानिक ( कोपरनिकस के १००० वर्ष पहले) जिऩ्होंने सूर्य को सौर मण्डल का एन्द्र सिद्ध किया, और कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा करती है। ६०० ईस्वी मे भास्कर प्रथम ने आर्यभट के कार्य को आगे बढ़ाया। ईस्वी ६२८ में ब्रह्मगुप्त ने ग्रन्थ ब्रह्मस्फ़ुट में २ घातांकों वाले अनिर्धारय समीकरणों के हल बतलाए, जो 'बहुत बाअद में एलर ने १७६४ ईस्वी में तथा लाग्रांज ने १७६८ में‌ हल किये।
स्रोत : हिस्टरी आफ़ मैथमैटिक्स इन इंडिया (इंटरनैट) , और फ़ेसैट्स आफ़ इंडिया - सर्वेश श्रीवास्तव ।
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नौवीं शती के मुस्लिम इतिहासकार
अल जहीज़
हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में, गणित, औषधि विज्ञान, तथा विभिन्न विज्ञानों में श्रेष्ठ हैं।
.मूर्ति कला, चित्रकला और वास्तुकला का उऩ्होंने पूर्णता तक विकास किया है।
उनके पास कविताओं, दर्शन, साहित्य और निति विज्ञान के संग्रह हैं।
भारत से हमने कलीलाह वा दिम्नाह नामक पुस्तक प्राप्त की है।
इन लोगों में निर्णायक शक्ति है, ये बहादुर हैं। उनमें शुचिता, एवं शुद्धता के सद्गुण हैं।
मनन वहीं से शुरु हुआ है।
स्रोत : द विज़न आफ़ इंडिया - शिशिर् कुमार मित्रा (पेज २२६)
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