प्रसिद्ध लेखक सलमान रश्दी को
जयपुर न केवल आने से बल्कि टेलीकांफ्रेसिंग से भी रोकना और बंगाल पुस्तक मेले मे
विख्यात लेखिका तस्लामा नसरीन की किताब का पुस्तक मेले से निर्वासन और हमारी आज की लोकतांत्रिक व्यवस्था
आज से सौ साल पहले
दिये गये महर्षि अरविंद के दो वक्तव्य-( जब देश अंग्रेजों का गुलाम था) आज़ादी के
63 साल बाद भी देखिए कितने सटीक हैं-
प्रत्येक ऐसा कार्य
जिस पर कुछ मुसलमानों को आपत्ति हो अब वर्जित कर दिया जाता है क्यों कि उससे शांति
भंग हो सकती है। और अब तो कुछ-कुछ ऐसा लगने लगा है कि कहीं वह दिन न आ जाए जब किसी
तर्कसंगत आधार पर हिंदू मंदिरों में पूजा करना भी वर्जित कर दिया जाए।
महर्षि
अरविंद,सन-1909
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मुसलमानों को तुष्ट
करने का प्रयास मिथ्या कूटनीति है।सीधे हिंदू-मुस्लिम एकता उपलब्ध करने की कोशिश
के बजाए यदि हिंदुओं ने अपने को राष्ट्रीयकार्य में लगाया होता तो मुसमनान भी धीरे
से अपने आप साथ चले आएंगे। तभी मजहबी कट्टरपंथी कमजोर होंगे और विवेकशील मुस्लिमों
को भी बल मिलेगा।
महर्षि अरविंद,सन—1926
आलेख-कट्टरता के
समक्ष समर्पण-एस.शंकर-5फरवरी-2012 पृष्ठ-10,दैनिक जागरण
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