आजकल बड़े अलग अंदाज़ में ब्राह्मण शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। सोचिए क्या यह जातिमूलक शब्द है या कि इसकी उत्पत्ति कुछ इस प्रकार से है-
B-Brilliuant
R-Reliable
A-Active
H-Honest
M-Modest
I-Intelligent
N-Noble
जिसमें ये सारे गुण हों मेरे विचार से वही ब्राह्मण है। खाली जन्मजात ब्राह्मण भी सही अर्थों में ब्राह्मण नहीं होता,यदि उसमें ये गुण न हो तो। और जिसमें ये गुण है वह ही ब्राह्मण है। भले ही जाति से न हो। इसीलिए जाति के आधार पर ब्राह्मण का आरक्षण संभव नहीं है। ब्राह्मणत्व आरक्षण का विषय भी नहीं है।
-पंडित सुरेश नीरव
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शमो दमस्तप:शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च /
ज्ञानं विज्ञानमस्तिक्यम,ब्रह्म कर्म स्वभावजम //[गीता १८ /४२
अर्थात शम[अंत:करण का निग्रह ],दम[इन्द्रिय ,दमन ] शौचं [शुद्धि ] तप [धर्मार्थ कष्ट सहना ],क्षान्ति [क्षमा भाव ]आर्जव [सरलता ]आस्तिक्यम[आस्तिकता ],ज्ञानं [शास्त्र ज्ञान ]विज्ञानम [परमात्म अनुभव ]
जिस व्यक्ति में स्वभाव स्वरूप रहते हैं वह ब्रह्माण है /
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