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Friday, February 3, 2012

यथार्थ मेडीटेशन

श्री प्रशांत योगीजी,
आप हाईटेक अभिय्यक्ति -आयुधों से जिस तरह लैस होकर अवतरित हो रहे हैं यह एक शुभ संकेत है मनुष्यता के लिए। जब भी शून्य निर्मित होता है कोई बड़ी हलचल होती है। आज नैतिकता के जिस महा शून्य में आज का समय खड़ा है वहां तय है कोई नई सृष्टि होगी ही। यही समय का यथार्थ है। शायद यह यथार्थ आप में से और आप इस यथार्य़ में से होकर गुजरे। संभावनाओं का ही नाम जीवन है। आप स्वयं संभावना हैं। आपकी अनंत सारस्वत संभावनाओं का मैं साक्षी बन पाऊं यही मेरी सार्थकता है।
सुगंधिम पुष्टिवर्धनम..
मेरे प्रणाम..
आत्मीय
पंडित सुरेश नीरव
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पुनश्चः 
आपने जिस उदारता से मेरे चिरंजीव को स्नेह-स्नात किया है उसके लिए मैं नहीं मेरा  अनुगृहीत मौन आप पर न्यौछावर..
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