दिल अभी तक जवान है प्यारे
किस मुसीबत में जान है प्यारे।
तू मेरे हाल का ख़याल न कर
इस में भी एक शान है प्यारे।
रात कम है, न छेड़ हिज्र की बात
ये बड़ी दास्तान है प्यारे।
तल्ख़ कर दी है ज़िन्दगी जिसने
कितनी मीठी ज़बान है प्यारे।
जाने क्या कह दिया था, रोज़े-अज़ल
आज तक इम्तिहान है प्यारे।
मैं तुझे बेवफा नहीं कहता
दुश्मनों का बयान है प्यारे।
सारी दुनिया को है ग़लतफ़हमी
मुझ पे तू मेहरबान है प्यारे।
हफीज जलंधरी
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मक़बूल
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