मित्रों होली के उपलक्ष मे लिखी गई मेरी यह कविता आपको समर्पित है---------------------
रंगीनियां हैं हर तरफ अबीरो-गुलाल की
फागुन में बह रही है हवा भी कमाल की
मस्ती मे गा रही है गोरी भी चाल की
हर हुस्न परी हो गयी है सोलह साल की
बंदिश नही है कोई ना ही सवाल है
होली का मच रहा घर-घर धमाल है
फागुन में बह रही है हवा भी कमाल की
मस्ती मे गा रही है गोरी भी चाल की
हर हुस्न परी हो गयी है सोलह साल की
बंदिश नही है कोई ना ही सवाल है
होली का मच रहा घर-घर धमाल है
भाभी को देवर जी छिप के ताक रहे
हैं
काली भी लाल होके आज घूम रही है
होली के बहाने से यार को चूम रही है
यार भी तो आज पूरा बेशरम हुआ
क्या खूब उस पे देखिये रब का करम हुआ
हाथों से लड्डुओं को मानों तल रहा है
चेहरे पे,हर कहीं पे ,वो मल रहा है
बंदिश नहीं है कोई,ना ही सवाल है
होली का मच रहा घर-घर धमाल है
होली के बहाने से यार को चूम रही है
यार भी तो आज पूरा बेशरम हुआ
क्या खूब उस पे देखिये रब का करम हुआ
हाथों से लड्डुओं को मानों तल रहा है
चेहरे पे,हर कहीं पे ,वो मल रहा है
बंदिश नहीं है कोई,ना ही सवाल है
होली का मच रहा घर-घर धमाल है
भैया
के बेडरूम में वो झांक रहे हैं
कैसे
लगेगा दांव वे तो आंक रहे हैं
निकली
अभी है मूंछ,नया ही उबाल है
बच्चों
ने गलियों में मोरचा ज़माया है
वह
साइकिल पे देखिये तो कौन आया है
पिचकारी
छूटते ही कैसे लडखडाया है?
सिर से लेके
पांव तक रंग लगाया है
बेचारा
राहगीर नीला पीला लाल है
होली का मच
रहा घर घर धमाल है
होली मे जनता
से नेता मिल रहे हैं
हारे हुओं से
विजेता मिल रहे हैं
आम आदमी से
अभिनेता मिल रहे हैं
कलयुग से
मानो आज त्रेता मिल रहे हैं
सारे ज़माने
की मदमस्त चाल है
होली का मच
रहा घर घर धमाल है
है फर्क मिट
गया गरीबो-ओ-अमीर का
है फर्क मिट
गया राजा औ फकीर का
सब मिल के
हुये एक अद्भुत कमाल है
होली का मच
रहा घर घर धमाल है
चौबे जी भांग
का अंटा लगाये हैं
वे तो रात से
ही लगातार फाग गाये हैं
होली में
कन्हैया हर ओर छाये हैं
वृंदावन में
कान्हा का ही ज़लवो-ज़लाल है
होली मच रहा
घर-घर धमाल है
नौजवान की
आंखों में आशा का रंग है
किसान के मन
में जगी नूतन उमंग है
सैनिक है
मुदित मस्त मानो जीती ज़ंग है
फागुन के रंग
देख के हर कोई दंग है
मां भारती का
हुआ आज ऊंचा भाल है
होली मच रहा
घर-घर धमाल है
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