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Monday, March 5, 2012

रंगीन कारिस्तानियां


यह रंगीन कारिस्तानी श्रीश्री108 श्री प्रशांत योगीजी की है।
जय लोकमंगल पर इन दिनों होली की बहार आई हुई है। चाहे मकबूलजी हों या पथिकजी सभी होरी के रंग में हुरियाए हुए हैं। हुरियाना भी चाहिए। आखिर होली आई किसके लिए है। होली के मौके पर सभी साथियों को मेरी भी रंग-बिरंगी शुभकामनाएं...
इस फाग की मस्ती में सभी टुल हो गए
मिर्ची रसीली लग रही होली के रंग में।


मक़बूल इन रंगों की क़यामत तो देखिये

कैसी सजीली लग रही होली के रंग में।

-मक़बूल
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चौबे जी भांग का अंटा लगाये हैं
वे तो रात से ही लगातार फाग गाये हैं
होली में कन्हैया हर ओर छाये हैं
वृंदावन में कान्हा का ही ज़लवो-ज़लाल है
होली मच रहा घर-घर धमाल है
नौजवान की आंखों में आशा का रंग है
किसान के मन में जगी नूतन उमंग है
सैनिक है मुदित मस्त मानो जीती ज़ंग है
फागुन के रंग देख के हर कोई दंग है 
मां भारती का हुआ आज ऊंचा भाल  है
होली मच रहा घर-घर धमाल  है।
-अरविंद पथिक 

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