उसको जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहैं ये किस्सा पुराना बहुत हुआ।
अब तक तो दिल से दिल का तार्रुफ़ न हो सका
माना कि उनसे मिलना मिलाना बहुत हुआ।
अब हम हैं और सारे ज़माने की दुश्मनी
इस आशिकी में जान से जाना बहुत हुआ।
अब फिर से तेरे लब पे उसी बेवफा का नाम
अहमद फ़राज़ तुमसे कहा ना, बहुत हुआ।
अहमद फ़राज़
प्रस्तुति- मृगेन्द्र मक़बूल
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