आज ब्लॉग पर भाई रजनीकांत राजू,भगवानसिंह हंस और प्रकाश प्रलय की प्रतिक्रियाएं सृजन को लेकर पढ़ीं। उनकी भावनात्मक टिप्पणियों के लिए धन्यवाद। अरविंद पथिक ने रक्तदान कर अपने वीररसी चरित्र का परिचय दिया। उनके लिए क्या कहूं। मेरा मौन ही बोलेगा।भाई पियूष चतुर्वेदी ग्वालियर से उसी दिन से आकर रुके हैं जिस दिन से उन्होंने खबर सुनी मैं उनके लिए भी कुछ कहकर उनके भाव को खंडित नहीं करूंगा।
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