अत्यंत दुःख के साथ सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य पिताजी श्री चरन सिंहजी का स्वर्गवास दिनाँक 22 जून 2012 को हो गया है. उनकी तेरहवीं दिनाँक 4 जुलाई 2012 दिन बुधवार की होनी निश्चित हुईं है.
सर्वभाषा संस्कृति समन्व समिति के समस्त सदस्यगण आमंत्रित हैं.
स्थल-- श्री सनातन धर्म मंदिर, डी-- ब्लाक गली नम्बर 12 के सामने
भजनपुरा दिल्ली -110053
फोन -9013456949
हवन -----------------------------------------------सुबह 8-00 बजे
ब्रह्मभोज ---------------------------------------- दोपरह 12-00 बजे
रस्म पगड़ी -----------------------------------------सांय 3-00 बजे
शोकाकुल
भगवान सिंह हंस, डोरी लाल हंस, मदन मोहन हंस ( पुत्र ) फोन -9013456949
अमित, योगेश, लोकेश , हेमंत, अभिषेक ( पौत्र )
एवं समस्त हंस परिवार
सो गया दरखत अपनी भुजाओं में ,
खेलकर बड़ा हुआ इन्हीं हवाओं में ,
तौल न सके तराजू से वाट उसे ,
उड़ गया कैसे कब इन्हीं हवाओं में.
कितने लम्बे हाथ थे जनाव उसके ,
कैसे द्रुतगामी घोड़े थे मन के उसके,
तोड़ दीं जंजीर, दीवार पत्थर की,
छोड़ मोह माया उड़ा हवाओं में.
फूलती टहनी खुशबू संवार दीं,
कलियाँ रंग भर भर उभार दीं,
छाया बनेंगी किसी थकी राह में,
रहेंगे हमसफ़र तुम स्वकलाओं में.
सर्वभाषा संस्कृति समन्व समिति के समस्त सदस्यगण आमंत्रित हैं.
स्थल-- श्री सनातन धर्म मंदिर, डी-- ब्लाक गली नम्बर 12 के सामने
भजनपुरा दिल्ली -110053
फोन -9013456949
हवन -----------------------------------------------सुबह 8-00 बजे
ब्रह्मभोज ---------------------------------------- दोपरह 12-00 बजे
रस्म पगड़ी -----------------------------------------सांय 3-00 बजे
शोकाकुल
भगवान सिंह हंस, डोरी लाल हंस, मदन मोहन हंस ( पुत्र ) फोन -9013456949
अमित, योगेश, लोकेश , हेमंत, अभिषेक ( पौत्र )
एवं समस्त हंस परिवार
सो गया दरखत अपनी भुजाओं में ,
खेलकर बड़ा हुआ इन्हीं हवाओं में ,
तौल न सके तराजू से वाट उसे ,
उड़ गया कैसे कब इन्हीं हवाओं में.
कितने लम्बे हाथ थे जनाव उसके ,
कैसे द्रुतगामी घोड़े थे मन के उसके,
तोड़ दीं जंजीर, दीवार पत्थर की,
छोड़ मोह माया उड़ा हवाओं में.
फूलती टहनी खुशबू संवार दीं,
कलियाँ रंग भर भर उभार दीं,
छाया बनेंगी किसी थकी राह में,
रहेंगे हमसफ़र तुम स्वकलाओं में.
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