तेरा घर तो पहले ही बिक चूका है .
तू एक किरायेदार बस बन चूका है
ना तुझे मालुम था, ना तुझे मालुम है,
इस घर का मालिक वो ही बन चूका है.
ये आशियाना सिर्फ वक्त-ए-वास्ते,
मंजर फरमान का डगर बन चूका है.
काहे का गर्व तुझको इस नश्वर पर,
मेरा मेरा कह, पागल बन चूका है.
ना कुछ तू लाया, ना कुछ ले जाए,
फिर भी तू क्यों नासमझ बन चूका है.
गिन नहीं सका तू कभी इन सांसों को ,
बुलावा वो तेरा पहले लिख चूका है.
तू एक किरायेदार बस बन चूका है
ना तुझे मालुम था, ना तुझे मालुम है,
इस घर का मालिक वो ही बन चूका है.
ये आशियाना सिर्फ वक्त-ए-वास्ते,
मंजर फरमान का डगर बन चूका है.
काहे का गर्व तुझको इस नश्वर पर,
मेरा मेरा कह, पागल बन चूका है.
ना कुछ तू लाया, ना कुछ ले जाए,
फिर भी तू क्यों नासमझ बन चूका है.
गिन नहीं सका तू कभी इन सांसों को ,
बुलावा वो तेरा पहले लिख चूका है.
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