यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Wednesday, September 19, 2012
कुण्डली
कुण्डली
बंद भारत मित्र किया, जोड़ तोड़ अजमाय, चित्त न कोई दीखता, भरम रहे फैलाय, भरम रहे फैलाय, पीस दी जनता भोली, चौतरफा से मार , न आँख सिंह ने खोली, चूल्हा नहिं जलता वहाँ, खायँ वे कलाकंद, जनता की रोटी छीन, कैसा भारत बंद।
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