बचेगी नहीं टोपी
भैया!
क्या,
अन्ना हजारे बन गए
प्रलय की तलाश में
महंगाई के कम्पास में
कोल के उल्लास में,
यार बचेगी नहीं टोपी
तुस्सी पौध ऐसी रोपी।
चलती रहेगी दुकान
बोलो जय भगवान।
फिर भी टोपी बचाने में
दिल से लगा है ये हंस
तुस्सी आबाद रहे वंश।
फिर
बोलो, जय भगवान .
No comments:
Post a Comment