यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, September 15, 2012
कुंडली
कुंडली
भिन्डी कस में कस दिए, लाल लाल टमाटर, छिलका छिलका रह गया, रस तुरत गया गटर, रस तुरत गया गटर, देखकर बीबी बोली , बेहुदे पतिदेव, तूने ना आँख खोली , कितनी बार कहा तुझे, ले आना मसटिंडी, यदि तू जाता बाजार, समझ लेता भिन्डी। भगवान सिंह हंस
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