पूज्य बाबूजी ,
मिश्रीलाल जायसवाल जी
जिनकी आज सातवीं पुन्य तिथि है ..
क्षणिका सम्राट बाबूजी
जिन्होंने मुझे क्षणिका लिखने की
तमीज सिखाई ..शब्दों का श्रंगार ,
उससे निकलने वाली आहट का अहसास कराया ...
शब्द बोलते है ,उनकी परिभाषा से परिचय कराया ....
व्यक्तिगत रूप से मेरी कविताओं पर सदा वाहवाही
न्योछावर करने वाले मेरे पिता तुल्य ,,बाबूजी को नमन
करता हूँ ,,,,आत्मीयता लुटाने वाली शख्सिय्तों को व्यक्ति
जीवन भर याद रखता है ,,,बाबूजी उनमे से एक हैं ;;;
मेरे प्रणाम ,,,,
****प्रकाश प्रलय *********
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