यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Saturday, September 15, 2012
नासमझ कवि
भगवान सिंह हंस
भटकती कविता और टरकता कवि जैसे संध्या को डूबता रवि ऐसा नासमझ कवि
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