सिद्धिदात्रीरूप मां लक्ष्मी
नवरात्रों में देवी भगवती का नोवांरुप मां सिद्धिदात्रीरूप
मां लक्ष्मी का है। सारे संसार की गतिविधियों की यही प्रबल धुरी हैं। नवरात्र का
समापन इनकी ही आराधना से होता है। यही नारायण की नारायणी हैं। यही ब्रह्मा की
सृष्टि हैं। और यही शिव की अर्धनारीश्वर हैं। इनकी पूजा करने से पहले इनसे क्षमा
मांगना बहुत जरूरी है। बिना क्षमा मांगे इनसे कोई फल नहीं मिलता। क्षमा मांगने
के लिए श्रद्धापूर्वक कहें-आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम.पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां
परमेशवरी। आज कन्याओं को जिमाने से देवी अत्यंत प्रसन्न होती है।
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