Search This Blog

Monday, October 8, 2012

श्मशान घाट पर एक अद्भुत कवि सम्मलेन

श्मशान घाट  पर एक अद्भुत कवि सम्मलेन







 पितृपक्ष में श्री राज कुमार सचान होरी की संकल्पना पर आधारित देश के अमर शहीदों को शब्दों के  पत्तों  पर तर्पण करके चिरस्मृति को आगाज किया, एक सच्चे श्राद्ध की अनुभूति है और यही  पितरों के प्रति  एक सच्चा श्राद्ध है। क्योंकि शब्दयग्य से बड़ा कोई यग्य नहीं है। यदि किसी ने अपने शहीदों या पितरों का श्राद्ध शब्दयग्य द्वारा कर दिया तो वे पितृ अमर हो जाते हैं और फिर श्राद्ध करने की आवश्यकता  ही नहीं रहती है। और जिस शब्दयग्य में पितरों के प्रति  पितृ पक्ष में आहुति शब्दऋषि पंडित सुरेश नीरवजी द्वारा दी जाये और साथ में कविवर श्री राज कुमार सचान होरी हों तो बात ही क्या  है। मुझे बेहद खुशी है कि  हिंडन नदी के श्मशान घाट पर पितृपक्ष में शब्दयग्य द्वारा पितरों को तर्पण किया गया एक अद्भुत सोच है श्री होरीजी का . और वह भी शब्दऋषि पंडित सुरेश नीरवजी द्वारा यग्य कराया गया। क्योंकि इस शब्दयग्य में शब्दऋषि एवं पंडित की महती आवश्यकता है जो पंडित सुरेश नीरवजी ने पूरी की।
इस श्मशान घाट पर कवि सम्मलेन  की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कृष्ण मित्र ने की। मुख्य अतिथि गाजियाबाद  के महापौर तेलूराम काम्बोज थे। संचालन कविवर होरीजी ने किया। इस शब्दयग्य में  शब्दों की पहली आहुति शब्दऋषि पंडित सुरेश नीरवजी द्वारा दी गयी जिन्होंने अपने चिंतन से अभिभूत आध्यात्मिक काव्यपाठ करके दी। इस शब्दयग्य में  जिन कवियों ने शिरकत की उनमें निम्न उल्लेखनीय हैं -
पुरुषोत्तम बज्र, अरविन्द पथिक, सतीश सागर, पी एन सिंह, उमाशंकर मिश्र, डा सुरेश, गजे सिंह त्यागी , मनोज भावुक  , दिनेश वत्स आदि।आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। मेरे प्रणाम।




 

1 comment:

Poonam Matia said...

सुकार्य .......बधाई