आत्मविवरण
पंडित सुरेश नीरव |
पंडित सुरेश नीरव
प्रकाशित पुस्तकेंः
समय सापेक्ष हूं मैं,शब्द नहीं हैं हम,भोर के लिए,उत्तरार्ध कविता,सद्भाव
कविता,इक्कीसवीं सदी की दृष्टि,पोयट्री ऑफ सुरेश नीरव,पोयटिक इलेंक्ट्रांस,संवेदना
के स्वर,मज़ा मिलेनियम,जहान है मुझमें,पश्यंती,तथागत,उत्तर-प्रश्नोपनिषद,सर्वतोष
प्रश्नोत्तर शतक।
अनुवादः अंग्रेजी,
उर्दू,ताईवानी तथा फ्रेंच भाषा में कविताओं के अनुवाद।
पुरस्कारः साहित्यश्री
(भारत के राष्ट्रपति द्वारा) 0 मीडिया इंटरनेशनल एवार्ड( भारत के प्रधानमंत्री
द्वारा) 0विश्वधर्म संसद पुरस्कार( नेपाल के प्रधानमंत्री द्वारा) भारतीय संस्कृति
सम्मान (इजिप्त के उच्चायुक्त द्वारा) 0 काव्यभारती पुरस्कार (मॉरीशस के
प्रधानमंत्री द्वारा) अट्टहास पुरस्कार( उत्तरप्रदेश के राज्यपाल द्वारा) 0
सदभावना पुरस्कार (उत्तरप्रदेश के राज्यपाल द्वारा) 0 प्रेक्षा पुरस्कार ( सूचना
एवं प्रसारण मंत्री भारत सरकार द्वारा) अमृतवाणी पुरस्कार(जगतगुरु
शंकराचार्य,बदरिका आश्रम द्वारा)
फिल्म-दूरदर्शनः
प्रौढ़ शिक्षा पर टेलीफिल्म दिशाबोध बनायी। 0 टी.वी सीरियल कंप्यूटरमैन की पटकथा
एवं अभिनय। 0 दूरदर्शन की टेलीफिल्म आरंभ के शीर्षगीत लिखे। 0 कमाल है तथा पड़ोसी
की कार सीरियलों में पटकथा लेखन एवं अभिनय। 0 रंग-रंगीले- छैल-छबीले सीरियल का
लेखन एवं अभिनय। 0 पंडित रामप्रसाद बिस्मिल पर सरफरोशी की तमन्ना टेलीफिल्म बनाई।0
दूरदर्शन के नए साल के कार्यक्रम का दो बार पटकथा लेखन एवं अभिनय। 0 अनेक
महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साक्षात्कार। 0 ज़ी.टी.वी,सब टीवी., एन.डी.टीवी., दबंग,
साधना और हिंट टी.वी. पर अनेक कार्यक्रम।
विदेश यात्राएंः
मॉरीशस,लंदन,पेरिस,हॉलैंड,नार्वे,डेनमार्क,सिंगापुर,मलेशिया,काठमांडू,
इंडोनेशिया,दुबई,इटली,बहरीन,शारजाह,आबूधाबी, इजिप्त और दक्षिण अफ्रीका में आयोजित
साहित्य सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व। जोहनेसबर्ग में आयोजित नवम विश्वहिंदी
सम्मेलन में भारत सरकार के प्रतिनिधिमंडल में बतौर साहित्यकार शामिल।
संपादनः दैनिक प्रकंपन
और ये का संपादन। 0 जयलोकमंगल और अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति
ब्लॉग के संपादक। 0 हिंदुस्तान टाइम्स प्रकाशन समूह की मासिक पत्रिका कादम्बिनी के
संपादन मंडल से विगततीस वर्षों तक संबद्ध।
0 संस्कार सारथी मासिक पत्रिका के परामर्शदाता। 0 सापेक्ष प्रकाशन के प्रबंध
निदेशक।
संप्रतिः भारत की
अगृणी साहित्यिक संस्था अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के राष्ट्रीय
अध्यक्ष। 0 पंडित रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष। 0 प्रेस क्लब
ऑफ इंडिया के सदस्य।
संपर्कः आई-204
गोविंदपुरम,ग़ज़ियाबाद-201003
दूरभाषः01202765014,मोबाइलः09810243966
ईमेलः surssh.neerav
@ gmail.com
सुरेश नीरव की दो
ग़ज़लें
(1)
आग से तो मैं घिरा हूं
जल रहा कोई और है
मंजिलें मुझको मिलीं
पर चल रहा कोई और है
तू ही कह ऐ मन के
सांचे अब तुझे ये क्या हुआ
ढ़ालना चाहा किसी को
ढल रहा कोई और है
देख जलती मोमबत्ती ये
खयाल आया मुझे
नाम बाती का हुआ पर गल
रहा कोई और है
कर भलाई भूल जाना ये
ज़मीं से सीखिए
फर्ज़ धरती ने निभाया
पर फल रहा कोई और है
आती-जाती सांस की हलचल
ने मुझसे ये कहा
जिस्म तो नीरव है
जिसमें पल रहा कोई और है।
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(2)
कोई भी ना इस जहां में
जान पाया है मुझे
शुक्रिया नमगा जो तूने
रोज़ गाया है मुझे
डूबता हूं रोज खुद में
तुम तलाशोगे कहां
दिल बेचारा ख़ुद कहां
ही ढ़ूंढ पाया है मुझे
कितने जंगल कत्ल होंगे
इक सड़क के वास्ते
एक उखड़े पेड़ ने बेहद
रुलाया है मुझे
आग है पानी के घर
मेंआंसुओं की शक्ल में
इसकी मीठी आंच ने
पल-पल जलाया है मुझे
मैं अंधेरों से लड़ा
हूं जिंदगीभर शान से
और ये किस्मत कि सूरज
ने बुझाया है मुझे
उसने कुछ मिट्टी उठाई
और हवा में फेंक दी
ज़िंदगी का फलसफा ऐसे
बताया है मुझे।
लफ्ज़ कुछ उतरे फलक से
और ग़ज़ल में सो गए।
कैसी है ये नींद कि
जिसने जगाया है मुझे।
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