भारत माता का भाल घायल लहुलुहान
क्योंकि धर्म क्षेत्र का है ध्वज ही गिरा हुआ
श्रोत्रियों को धर्म हित जीवन था जीना किन्तु
स्वार्थी मनोवृत्ति से वो कुल भी घिरा हुआ
अंगों में व्रणो की पीड़ा राष्ट्र देवी का रुदन
अधर्म प्रसार से है वक्ष भी चिरा हुआ
किन्तु माँ के त्राण के निमित्त कोई कर्म नहीं
महान तपस्वी कुल भोगी ही निरा हुआ
कृतिकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
कवि, ज्योतिषाचार्य, साहित्याचार्य, धर्मरत्न, पी-एच. डी.
लखनऊ
किन्तु माँ के त्राण के निमित्त कोई कर्म नहीं
महान तपस्वी कुल भोगी ही निरा हुआ
कृतिकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
कवि, ज्योतिषाचार्य, साहित्याचार्य, धर्मरत्न, पी-एच. डी.
लखनऊ
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