यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Saturday, November 3, 2012
हया ओ अदा से जब ,झुकीं थी तुम्हारी पलकें दिल में आज तक होते है ,स्पंदन उस पल के घनश्याम वशिष्ठ
No comments:
Post a Comment