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Tuesday, December 11, 2012

आज दैनिक हिंदुस्तान के नश्तर स्तंभ में प्रकाशित लेख

हास्य-व्यंग्य-
  चरण कमल के आचरण
  0 सुरेश नीरव
पांव छूना हमारी संस्कृति के प्राण हैं। और पांव छूना और छुलवाना हमारी प्राचीन सनातन-शाश्वत सांस्कृतिक गतिविधि है। पद,प्रमोशन, पुरस्कार,प्रतिष्ठा नाना प्रकार की उपलब्धियां हमें पांव छूने से ही प्राप्त होती हैं। सैंकड़ों टाटा और बाय-बाय पर एक अदद पांव छूना हज़ार गुना भारी पड़ता है। आज के जीवन-संग्राम में जो चरण स्पर्श के हथियार से लैस नहीं है उसके पांव क्या उखड़ेंगे जो कभी जम ही नहीं पाते। इसीलिए अपनी चादर से ज्यादा पांव फैलानेवाले  हमेशा पैर पटकते ही रह जाते हैं। कामयाबी के इतिहास में वही बड़ा है जो अपने पैरों पर खड़ा है। और अपने पांव पर खड़े होने की ताकत भी वही पाता है जो खुशी-खुशी अपने आका की लातें खाता है। ऐसे दुर्दांत चरणसिंह-कदमसिंह ही तो डिनर में सौभाग्य से मुर्गे की लातें (चिकन लेग्स) खाते हैं। हमारा स्वर्णिम इतिहास ऐसे अनेक चरणहिलाऊ चंडुओं से अटा पड़ा है। जो आपके पांव बड़े हंसीन हैं,इन्हें जमीन पर मत उतारिए यह पर्ची उसके पास लिखकर,सिर पर पांव रखकर फटाक से रफू चक्कर हो जाते हैं। कुछ खुरापाती मानसिकतावाले आशिक तो अपनी मुहब्बत की निजी सरकार पर–मेरा दिल खो गया है आज कहीं, आपके पैरों के नीचे तो नहीं का सार्वजनिक आरोप मढ़कर खुद अपने मुंह मियां लोकपाल हो जाते हैं। और इसी सार्वजनिक-घोटाली हहाकार से घबड़ाकर सरकार के भी जमीन पर पांव पड़ना बंद हो जाते हैं। कहते हैं कि झूठ के पैर नहीं होते मगर अक्ल बहुत तेज होती है। कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं मगर आँखों पर पट्टी बंधी रहती है। इसी गड़बड़ का फायदा उठाकर झूठ कानून की गोद में बैठकर हाईकमान-जैसी हरकतें करने लगता है। अपुन के साथ तो दिक्कत ये है कि अपुन जब भी पांव आगे बढ़ाते हैं तभी लोग लपक कर टांग अड़ाते हैं। शर्मीले लोग खड़े-खड़े अपनी टांगे भींचते हैं। बहादुर लोग टांग खींचते हैं। कुछ चापलूसी के जल से चरण-कमल सींचते हैं। भले ही पांव हाथी पांव ही क्यों न हो। सत्ता के चरण हमेशा कमल होते हैं। नेता के आचरण कितने भी गड़बड़ क्यों न हों उसके चरण कभी कटहल नहीं होते। भारत का हर नेता अपने हाथ मजबूत करने की जनता से फरियाद करता है। अपने समर्थन में कभी टांग नहीं हमेशा हाथ ही उठवाता है। पांव तो उसके इनर्जी का पावर हाउस होते हैं। इसीलिए तो चरणसिंह,कदमसिंह,कालीचरण,रामचरण आपको गली-गली में मिल जाएंगे मगर हाथ मलते रह जाइए आपको हाथ सिंह कभी कहीं नहीं मिलेगा। पांव छूने का महत्व दो पांव वाले ही जानते हैं इसीलिए तो ये चार पांववाले चौपायों पर भारी पड़ते हैं। चरणवंदना, पांवपखारना, पांयलागूं, पालागन, कदमबोसी, पैरीपेना और खंबागढ़ी इसी चरण-छू क्रिया के सर्वनाम हैं। और इस मनुष्य की सारी कामयाबी का इतिहास पांव बढ़ाने,अड़ाने और पांव उठाने का ही सनातन व्यसन है जो उसके डीएनए में काफी गहराई तक अपने पांव जमा चुका है। भगवान करे आप भी जल्दी से किसी चरण-छू सिंडीकेट के सदस्य बन जाएं। आप सरकार की तरह अपने कदम बढ़ाएं। विरोधी न कभी आपकी टांग खींचें न आपके मामले में टांग अड़ाएं।

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