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Wednesday, December 19, 2012

सरफ़रोशी की तमन्ना

पंडित रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन
सरफ़रोशी की तमन्ना
आज बलिदान दिवस है देश के उन दो जांबाज नौजवानों का जिन्होंने देश की आजादी की जंग में अपना जीवन बलिदान कर दिया।  पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्लाह खान। एक पंडित तो दूसरा पठान। दोनों की राह मगर एक। मजहब की कोई दीवार नहीं। दोनों भारत माता के दो सपूत । दोनों की सरफरोश तमन्ना बस एक..देश की आजादी। फांसी के फंदे पर झूलते हुए दोनों की एक ही दहाड़- हम ब्रिटिश साम्राज्य का विनाश चाहते हैं। जब तक देश आजाद नहीं हो जाता हम बार-बार जन्म लेंगे और फांसी के फंदे पर झूलते रहेंगे। आज इन बलिदानियों के रास्ते पर चलना तो बहुत दूर लोगों को इनकी शहादत के दिन इन्हें याद करना भी गवारा नहीं। जो कौमें अपने शहीदों का सम्मान नहीं करती वह ज्यादा दिन आजाद भी नहीं रह पाती हैं। हम हिंदुस्तान की तरफ से पूरे सम्मान के साथ इन दोनों अमर शहीदों को इंकलबी सलाम करते हैं।
-पंडित सुरेश नीरव
(अध्यक्षः पंडित रामप्रसाद बिस्मिल फाउंडेशन)

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