"मन में भरे उजास .इकसठवें पड़ाव पर प्रकाश" ----------[]---प्रो,मोतीलाल जैन -:"विजय "------------
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" निष्ठा से सत्कर्म करना ही धर्म का मर्म है,आपकी सदभावना की सन्देशवाहक है "मुस्कराहट "
स्नेहमयी वाणी सबका मन मोह लेती है।ऊँची सोच ही सफलता की पहली सीढ़ी है।
द्रश्य में नहीं द्रष्टि में होता है सौन्दर्य, जैसे बोध वाक्यों को अपनी सात्विक रचनाओं,व्यंग्यात्मक
किन्तु मर्म भेदी उक्तियों में चरितार्थ कर असंख्य सुधि पाठको तक अपनी पहचान,पहुंच सहज
बना लेने वाले व्यक्तित्व का नाम है प्रकाश प्रलय।
" अठारह जनवरी उन्नीस सौ बावन" को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा माँ नर्मदा के तट पर कस्बाई
ग्राम :"मेख"जिला नरसिंहपुर में यशस्वी पिता श्री स्व,चौधरी रामचरण लाल नेमा "मंत्रीजी"एवं पुण्य श्लोका
ममतामयी मातेश्वरी स्व,श्रीमती रेवा के गेह में जन्मे प्रकाश जन्म से ही प्रतिभावान अनुशासित व् लोकप्रिय
वाकपटु छात्र रहे है।
प्रथम प्रकाशन व्यंग्य संग्रह "कलम बम"1980के समय से ही प्रख्यात विद्वानों की भरपूर
प्रशंसा प्राप्त हुई।
जब मैं प्रकाश के विगत योगदान तथा श्रेष्ट व्यंग्य क्रतियों की और
द्रष्टिपात करता हूँ तब व्यंग्यशिल्पी स्वनाम धन्य स्व,हरिशंकर जी परसाई की स्म्रति सहज ही हो जाती है,
देश के व्यंग्य सिरमौर परसाई जी के सानिध्य को मूल मंत्र मान कर चले सधे क़दमों से अपनी सुझबुझ के साथ
साहित्य स्रजन की डोर में बंधे प्रिय प्रकाश ने लगभग दस अमुल्य क्रतियों का स्रजन किया है,
दो नवीन संग्रह छप्पनभोग,एवं देर है अंधेर नहीं,,,प्रकाशनाधीन है।
काव्य संग्रहों की अधिकतर भूमिका सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुरेश नीरव जी द्वारा लिखी गई है ,वो लिखते है
की "कविता के अधरों पर मुस्कराती यह सतर्क हँसी ही प्रकाश प्रलय की शिल्पगत चतुराई है''..
आकाशवाणी,दूरदर्शन,टेलीविजन चैनलो ,एवं कविसम्मेलनों के माध्यम से साहित्यजगत में प्रकाश
ने एक सुनिश्चित मुकाम हासिल किया है।
समाज में नवचेतना उर्जा जागरूकता के सामाजिक सरोकार में सक्रिय भागीदारी द्वारा कर्मठ कर्म -
भूमि के कीर्ति -कलश को स्फूर्त भाव से अक्षुण एवं ,हिंदी राष्ट्र भाषा के प्रति समर्पित रहते हुए अपनी जययात्रा
निरंतर गतिशील रखें ऐसी आत्मीयजनों की अपेक्षा है।
शुभकामनाओं सहित --------------------------
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" निष्ठा से सत्कर्म करना ही धर्म का मर्म है,आपकी सदभावना की सन्देशवाहक है "मुस्कराहट "
स्नेहमयी वाणी सबका मन मोह लेती है।ऊँची सोच ही सफलता की पहली सीढ़ी है।
द्रश्य में नहीं द्रष्टि में होता है सौन्दर्य, जैसे बोध वाक्यों को अपनी सात्विक रचनाओं,व्यंग्यात्मक
किन्तु मर्म भेदी उक्तियों में चरितार्थ कर असंख्य सुधि पाठको तक अपनी पहचान,पहुंच सहज
बना लेने वाले व्यक्तित्व का नाम है प्रकाश प्रलय।
" अठारह जनवरी उन्नीस सौ बावन" को मध्यप्रदेश की जीवन रेखा माँ नर्मदा के तट पर कस्बाई
ग्राम :"मेख"जिला नरसिंहपुर में यशस्वी पिता श्री स्व,चौधरी रामचरण लाल नेमा "मंत्रीजी"एवं पुण्य श्लोका
ममतामयी मातेश्वरी स्व,श्रीमती रेवा के गेह में जन्मे प्रकाश जन्म से ही प्रतिभावान अनुशासित व् लोकप्रिय
वाकपटु छात्र रहे है।
प्रथम प्रकाशन व्यंग्य संग्रह "कलम बम"1980के समय से ही प्रख्यात विद्वानों की भरपूर
प्रशंसा प्राप्त हुई।
जब मैं प्रकाश के विगत योगदान तथा श्रेष्ट व्यंग्य क्रतियों की और
द्रष्टिपात करता हूँ तब व्यंग्यशिल्पी स्वनाम धन्य स्व,हरिशंकर जी परसाई की स्म्रति सहज ही हो जाती है,
देश के व्यंग्य सिरमौर परसाई जी के सानिध्य को मूल मंत्र मान कर चले सधे क़दमों से अपनी सुझबुझ के साथ
साहित्य स्रजन की डोर में बंधे प्रिय प्रकाश ने लगभग दस अमुल्य क्रतियों का स्रजन किया है,
दो नवीन संग्रह छप्पनभोग,एवं देर है अंधेर नहीं,,,प्रकाशनाधीन है।
काव्य संग्रहों की अधिकतर भूमिका सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुरेश नीरव जी द्वारा लिखी गई है ,वो लिखते है
की "कविता के अधरों पर मुस्कराती यह सतर्क हँसी ही प्रकाश प्रलय की शिल्पगत चतुराई है''..
आकाशवाणी,दूरदर्शन,टेलीविजन चैनलो ,एवं कविसम्मेलनों के माध्यम से साहित्यजगत में प्रकाश
ने एक सुनिश्चित मुकाम हासिल किया है।
समाज में नवचेतना उर्जा जागरूकता के सामाजिक सरोकार में सक्रिय भागीदारी द्वारा कर्मठ कर्म -
भूमि के कीर्ति -कलश को स्फूर्त भाव से अक्षुण एवं ,हिंदी राष्ट्र भाषा के प्रति समर्पित रहते हुए अपनी जययात्रा
निरंतर गतिशील रखें ऐसी आत्मीयजनों की अपेक्षा है।
शुभकामनाओं सहित --------------------------
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