हमें गर्व भारत भूमि पर जिसने वीर सुभाष दिया ....
राज और रजवाड़ों का ,गोरों से मर्दन मान हुआ
पराधीनता में जकड़ा और बेबस हिन्दुस्तान हुआ
जिसने भी संघर्ष किया उन सब का कत्ले आम हुआ
क्रान्तिकाल सत्तावन का था ग़दर हुआ नाकाम हुआ
किन्तु उदित हुआ जो सूरज ऐसे ना अवसान हुआ
माँ की आँखों के तारों का समर बीच बलिदान हुआ
गोद रिक्त ना हुई धरा की सीना लहूलुहान हुआ
अंगेजी सत्ता के ताबूत में यह कील सामान हुआ
नेताजी का उदय देश को कारज एक महान हुआ
आज़ादी की मंजिल पर यह एक और सौपान हुआ
आज़ादी आँखों को आशाओं का आकाश दिया
हमें गर्व भारत भूमि पर जिसने वीर सुभाष दिया
घनश्याम वशिष्ठ
राज और रजवाड़ों का ,गोरों से मर्दन मान हुआ
पराधीनता में जकड़ा और बेबस हिन्दुस्तान हुआ
जिसने भी संघर्ष किया उन सब का कत्ले आम हुआ
क्रान्तिकाल सत्तावन का था ग़दर हुआ नाकाम हुआ
किन्तु उदित हुआ जो सूरज ऐसे ना अवसान हुआ
माँ की आँखों के तारों का समर बीच बलिदान हुआ
गोद रिक्त ना हुई धरा की सीना लहूलुहान हुआ
अंगेजी सत्ता के ताबूत में यह कील सामान हुआ
नेताजी का उदय देश को कारज एक महान हुआ
आज़ादी की मंजिल पर यह एक और सौपान हुआ
आज़ादी आँखों को आशाओं का आकाश दिया
हमें गर्व भारत भूमि पर जिसने वीर सुभाष दिया
घनश्याम वशिष्ठ
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