आज़ादी नहीं मिलती यारो ,विनय विनीत विमर्शों से
आज़ादी नहीं मिलती है , करतल के स्नेह स्पर्शों से
आज़ादी हाँसिल होती है, ताक़त से संघर्षो से ,
आज़ादी को तरस रहे थे भारत वासी वर्षों से
खून के बदले आज़ादी दिलवानें का विशवास दिया
हमें गर्व भारत भूमि पर, जिसने वीर सुभाष दिया
घनश्याम वशिष्ठ
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