वाह वाह में कविता पाठ के लिए वाह वाह, बधाई। मेरे पालागन।
बड़ा दुःख हुआ कि गुरुदेवश्री का बटुआ ही दो हस्तियों के साथ खींच लिया। गहरा दुःख।
नीयति खोटी जनन की, जगत दिया भरमाय।
कितने दिन की चाँदनी, पीउ पीउ चिल्लाय।।
देख देख बिरियाँ थकीं, पल्ले पड़ी न खाक।
हेम भस्म खायी खनन, रहा फाक का फाक।।
मिट गयी साख जगत में, माया मिली न मोह।
पल में वह माटी बनी, फिर काहे का छोह।।
दाता तो ऊपर खडा, सत नीयति की ओट।
छप्पर फाड़ देता वह, उठता नहीं भरोट।।
ऐसा कर काम वन्दे, बची रहे ये साख।
एकदिन माटी में मिले,बनकर तेरी राख।।
भगवान सिंह हंस
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