Search This Blog

Tuesday, March 5, 2013


कुम्भ के लापता शिविरों में ,
प्रतीक्षारत हताश  आँखें ,
करतीं हैं सवाल  ...
क्या शाप थे हम .
वो मुक्त हो गए  ..
क्या पाप थे हम  .

घनश्याम वशिष्ठ 

No comments: