यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
Search This Blog
Monday, April 1, 2013
शब्दऋषि पं सुरेश नीरव
तृप्त के इस संसार में,
अतृप्त जन सदैव रहा,
कालीदह या नृत्यफागुन,
बाँसुरी वह पकड़े रहा।
शब्दऋषि पं सुरेश नीरव, शब्द की महिमा अपार। ये इतना भारी लगा, जो दूजे पर दिया उतार।
No comments:
Post a Comment