बृहद भरत चरित्र महाकाव्य से कुछ अमृतमय प्रसंग-
महात्मा भरत बहु आह्लादा। भंग न किया भ्रात का वादा।
कन्द मूल फलादि मैं खाऊँ। खडाऊं से स्वराज्य चलाऊँ।
चौदह वर्ष तक यह संवारूं। नाथ आपकी वाट निहारूं।
भ्रात जब पूर्ण हो वनवासा। अगले दिन आना सोल्लासा।
यदि उस दिन नहिं आये नरेशा। मैं कर दूंगा अग्नि प्रवेशा।
सिर पर धरीं पादुका वीरा। टपटप गिरहिं आँख से नीरा।
प्रस्तुति - योगेश
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