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Thursday, May 2, 2013



आशीर्वचन-

कविवर श्री भगवान सिंह हंस ने भरत  भरित्र महाकाव्य जो रचा है, यकीनन उसे निष्ठापूर्वक पढ़ने वाले को सौ-सौ गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। एक बार कोई इस काव्य-गंगा में  डुबकी लगाकर देखे तो।
आज के दौर की यह भावगीता है।

पंडित सुरेश नीरव 


1 comment:

HIRA LAL PANDEY said...

hans ji ko badhai. ishwar se prarthna ki aapki kalam se aur maha kabya samaj ko labhanbit karen.