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Thursday, May 2, 2013


बृहद भरत  चरित्र महाकाव्य से कुछ सदप्रसंग आपके आनंद हेतु -

चलहिं भरत बिलोक रघुनाथा। पादुका धरि शत्रुंजय माथा।
धर्म  की धुरी   भरत कुमारा। बृहद  ह्रदय सुमुदित संसारा। . 

चित्रकूट नतमस्तक सारा . धन्य भरत  मुझको भवतारा। 
तस भ्रातृ प्रेम नहिं संसारा। भ्रात प्रति भरत सदव्यवहारा। 

भरद्वाज मुनिहिं शुचिहिंउचारा।धन्य महात्मा अवधकुमारा।
सर्व   गुण  भूषित  सदाचारी . धर्मग्य  त्यागमूर्ति  जु   भारी। 

यह  संतोष  धर्म  परिपाटी . भंगित  कुल   बांधा  एक  घाटी . 
चहुँ  ओर    हो   आनंद  वर्षा।  झूमें  लता  पुहुप  और   हर्षा। 


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