यह मंच आपका है आप ही इसकी गरिमा को बनाएंगे। किसी भी विवाद के जिम्मेदार भी आप होंगे, हम नहीं। बहरहाल विवाद की नौबत आने ही न दैं। अपने विचारों को ईमानदारी से आप अपने अपनों तक पहुंचाए और मस्त हो जाएं हमारी यही मंगल कामनाएं...
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Wednesday, May 8, 2013
आशीर्वचन-
कविवर श्री भगवान सिंह हंस ने भरत भरित्र महाकाव्य जो रचा है, यकीनन उसे निष्ठापूर्वक पढ़ने वाले को सौ-सौ गंगा स्नान का पुण्य मिलता है। एक बार कोई इस काव्य-गंगा में डुबकी लगाकर देखे तो। आज के दौर की यह भावगीता है।
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