मित्रों ,सर्वभाषा सांस्कृतिक समन्वय समिति के सदस्यों के साथ बदरीनाथ
धाम जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ ,पर्वत राज हिमालय का विराट रूप देख कवि मन कह उठा .....
भाल चूमने को उत्सुक नभ ,
चरण पखारे जल की धारा ,
आज हिमालय परिचय पाया ,
वैभव ,विपुल , विराट तुम्हारा .
घनश्याम वशिष्ठ
भाल चूमने को उत्सुक नभ ,
चरण पखारे जल की धारा ,
आज हिमालय परिचय पाया ,
वैभव ,विपुल , विराट तुम्हारा .
घनश्याम वशिष्ठ
No comments:
Post a Comment