क्रांतिशिरोमणि चंद्रशेखर आजाद को समर्पित-
----------------------------------------------
रक्त के तिलक से दैदिप्य दिव्य भाल है
सिंह-सा शरीर और चीते जैसी चाल है
मूंछ को मरोड़कर क्रांति रथ हांकते
देख के जनेऊ तेरा देशद्रोही कांपते
लटकी कमर में पिस्तौल इंकलाब की
उपमा मिली न कोई दूजे तेरे ताव की
देश भक्ति पूजा तेरी बलिदान है धरम
जय-जय नरकेसरी नमामि चंद्रशेखरम्।
-सुरेश नीरव
----------------------------------------------
रक्त के तिलक से दैदिप्य दिव्य भाल है
सिंह-सा शरीर और चीते जैसी चाल है
मूंछ को मरोड़कर क्रांति रथ हांकते
देख के जनेऊ तेरा देशद्रोही कांपते
लटकी कमर में पिस्तौल इंकलाब की
उपमा मिली न कोई दूजे तेरे ताव की
देश भक्ति पूजा तेरी बलिदान है धरम
जय-जय नरकेसरी नमामि चंद्रशेखरम्।
-सुरेश नीरव
No comments:
Post a Comment