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Sunday, January 5, 2014

अभी तो भोर हुई है ,धूप भी खिलेगी ,
आशा किरण आहिस्ता आहिस्ता आकार लेगी  . 
घनश्याम वशिष्ठ

1 comment:

कविता रावत said...

हर रात के बाद सुबह जरुर होती हैं ..
बहुत सुन्दर
मकर सक्रांति की शुभकामनाएं!